बेबस महिला को नशेला पानी पीला गैंगरेप कर आरोपी हुए फ़रार, थाना बज़रिया पुलिस लाचार
Anam Ibrahim
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BBC OF INDIA.COM
*भोपाल /मप्र :* अगर ज़िन्दगी के लिहाफ़ मे मज़बूरियों का एक पेबंद भी लग गया तो समझ जाना अब फ़ायदा उठाएगा ख़ुलकर जमाना, उफ़ नारी रक्षा-सुरक्षा के नाम भले ही कितने सामाजिक संस्थान व सरकारे हुक्कारे भरे सामूहिक मसवरें करें मसूरात की आबरू की हिफाजत के सेकड़ो जतन करें लेकिन एक कड़वा सच ये है की तन्हा औरत की आबरू इस शहर मे सुरक्षित नही है, जी हां दोस्तों औरत का अगर ओहदा हो या बाप हो ,बेटा हो ,पति हो ,भाई हो तो ठीक है लेकिन इस शहर मे तन्हा और मज़बूर महिलाओं की आबरू की हिफाजत ऐसी है जैसे रास्ते मे आग का दरिया बह रहा हो जहां से गुजर कर दामन को जलाना है , *मामला*
थाना बज़रिया का है जहां 27 साल की (परिवर्तित नाम) पार्वती परिवार के प्यार से मेहरूम पति की प्रताड़ना को पार कर अकेली ज़िन्दगी जी मजदूरी कर खुद को आत्मनिर्भर बना रही थी फिर क़्या था दिनांक 3/4/ 08/24 की दरमियानी रात काम से लौटते वक़्त
(परिवर्तित नाम) पार्वती
जब पैदल घर जा रही थी तभी रास्ते मे
अचानक पीछे से बाइक पर सवार
रिशी कुशवाहा नामक व्यक्ति सावित्री के अकेलेपन की मज़बूरी का फंदा तैयार कर आता है और उसके गले मे फेक देता है मतलब बाइक (परिवर्तित नाम) पार्वती
के सामने लगा कहता है " बैठो पीछे मे छोड़ देता हूं "( परिवर्तित नाम) पार्वती
जैसे ही रिशी को देखती तो पहचान लेती क्योंकि मज़दूरी के दौरान कई बार रिशी का उससे सामना हो चूका था खैर
महिला के इंकार के बावज़ूद भी रिशी उसे अपने भरोसे मे ले बाइक के पीछे बिठाकर ले जाता है,अभी कुछ दूर तक ही बाइक के दो चके सड़क पर चलते हैं की सड़क के दो रास्ते सामने आ जाते हैं उनमे से एक रास्ता
(परिवर्तित नाम) पार्वती
के घरौंदे की जानीब जाने वाला तो दूसरा अंजान था बहरहाल जैसे ही रिशी अंजान रास्ते की तरफ़ बाइक का रुख करता है तो (परिवर्तित नाम) पार्वती
कहती है "घर उस तरफ़ है मेरा " तो रिशी उसे कुछ काम का हवाला दें भीमा बिल्डिंग गर्म गड्डे के एक फ्लैट मे ले जाता है
अभी डरी सहमी सी (परिवर्तित नाम) पार्वती कुछ समझ पाती की रिशी उसे जहरीली मुस्कुराहट के साथ हिफाजत भरी तसल्ली देते हुए पानी का प्याला दे कर पीने को कहता है, पानी पीते ही
(परिवर्तित नाम) पार्वती
बेहोश होने लगती है दरअसल पानी मे नशेली दवा रिशी पहले ही मिला चूका था, जैसे ही (परिवर्तित नाम) पार्वती अधमरी हालत मे कमज़ोर हो जाती है तो रिशी व उसके साथी बारी बारी
(परिवर्तित नाम) पार्वती
के बदन पर लपटे ग़रीबी के लिबास को नोंचने लगते हैं भेड़ियों के बीच बिस्तर पर बेजान सी पड़ी (परिवर्तित नाम) पार्वती
की आँखों से आसू बहने लगते है, उफ़ अनम शायद तेरी निगाह मे मज़बूरियों के आँसुओ की क़ीमत आबे जमजम और गंगा जल से ज़्यादा है क्योंकि साहब लिखते लिखते रोने वालों मे हम भी शामिल है बहरहाल
(परिवर्तित नाम) पार्वती के साथ घंटो सामूहिक ब्लात्कार होता रहता है सभी वहसी दरिंदे हवस की भूक मिटा (परिवर्तित नाम)पार्वती को अधमरा तन्हा छोड़ भाग जाते हैं फिर
(परिवर्तित नाम) पार्वती
जैसे तैसे फ़फ़कते हुए अपने नुचे हुए लूट चुके जिश्म को मुफलिसी के लिबाज़ से ढाकती है और थाना बज़रिया की दहलीज पर जा उस तरह से दामन फैला सिसक पड़ती है जैसे किसी मजलूम का प्यासा दिल न्याय का घुट लगा इंसाफ का लुकमा बना चबाना चाहता हो, थाने मे पीड़िता की शिकायत पर जुर्मनामा नंबर 180 पर नए कानून BNS की दफ़ा 64-70(1) 351(3)3(5) के तहत फरार आरोपियों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज हो जाता है.......
लिहाज़ा इस वहसियाना वारदात के कसूरवारो की कतार मे बलात्कारियों के अलावा और किसे मानते हो आप जरूर बताइयेगा
तब तक के लिए ख्याल रखो अपना और अपने आसपास के जाने अनजाने लोगो का भी क्योंकि हिफाजत के ठेकेदारों का ओहदा बड़ा नही होता बल्कि हिफाजत करने वाला बड़ा होता है भले ही वो ऑटो चालक हो या आम राहगीर
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