RBI Survey: भारत में लोगों के कम खर्च करने से क्यों परेशान है आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (consumer confidence survey) से यह जानकारी मिली है। मौजूदा इंडेक्स मई में गिरकर 48.5 के अंक पर पहुंच गया है। Reserve Bank of India के मुताबिक मार्च में यह 53.1 पर था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (consumer confidence survey) में 100 अंक के आधार पर रैंकिंग दी जाती है
भारत के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस (consumer confidence) में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था की कमजोरी (Economic Slowdown) की असल तस्वीर समझने में मदद मिल सकती है। दुनिया में कोरोना संक्रमण (Covid Infection) के सबसे खतरनाक चरण से जूझ रहे भारत में लोगों के खर्च करने की क्षमता इस वजह से काफी प्रभावित हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (consumer confidence survey) से यह जानकारी मिली है। मौजूदा इंडेक्स मई में गिरकर 48.5 के अंक पर पहुंच गया है। Reserve Bank of India के मुताबिक मार्च में यह 53.1 पर था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (consumer confidence survey) में 100 अंक के आधार पर रैंकिंग दी जाती है जिसके हिसाब से लोगों का आशावाद या नकारात्मकता दिखती है।
जॉब मार्केट की स्थिति से चिंता
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के इस सर्वे में शामिल लोगों ने आने वाले 1 साल के लिहाज से भविष्य को अनिश्चित बताया है। अगर मार्च की तुलना में मई की बात करें तो फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स (FEI) 108.8 अंक से गिरकर 96.4 अंक पर आ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के consumer confidence survey रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में किए गए इस सर्वे में लोगों के घरेलू खर्च में कमी आई है।
क्यों घटा लोगों का खर्च
RBI रिपोर्ट में कहा गया, "देश की आर्थिक स्थिति और जॉब की अनिश्चितता के हिसाब से लोगों ने खर्च घटा दिया है।" भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों ने जरूरी खर्च तो कम किया ही है, इसके साथ ही गैर जरूरी खर्च में भारी कटौती की है।
घरेलू खपत घटने से संकट
भारत की अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत (Consumption) का बहुत बड़ा योगदान है और भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) का यह सर्वे इकनॉमी की धुंधली तस्वीर बना रहा है। खुदरा गतिविधियों से लेकर सड़क परिवहन और बिजली की मांग से लेकर बेरोजगारी के बढ़ते स्तर तक तकरीबन हर सूचकांक में कमजोरी दर्ज की जा रही है। हाई फ्रिकवेंसी इंडिकेटर (HFI) ऐसी कमजोरी का संकेत दे रहे हैं जो पिछले कुछ सालों में कभी नहीं देखा गया है।
महंगाई दर में वृद्धि
एक और सर्वे में बताया गया है कि भारत में महंगाई दर (Inflation) आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। इससे मौद्रिक नीति (Monetary Policy) बनाने वाले बैंक नियामक के सामने विकट स्थिति पैदा हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में कटौती को पिछले 1 साल से रोका हुआ है, जिससे देश की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) बढ़ाने में मदद मिल सके। पिछले शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था।