इंदौर के 'गुंडे मोबाइल' गैंग की गुस्ताखियाँ: ' और स्मार्ट' शहर के 'शातिर' चोर!

Anam Ibrahim
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BBC OF INDIA
न्यूज़ नेटवर्क
*इंदौर/मप्र:* इंदौर, जो खुद को स्मार्ट सिटी कहता है, आजकल मोबाइल स्नैचिंग के शातिर गिरोहों का शिकार बनता जा रहा है। ताज़ा मामला भँवरकुआं थाना क्षेत्र का है, जहाँ पुलिस ने पांच 'खूँखार नवयुवकों' को गिरफ्तार किया है। इन बदमाशों ने मानो मोबाइल फोन को अपनी निजी संपत्ति मान लिया था, क्योंकि उनकी झपटमारी के शिकार 37 बेबस लोग पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने पहुँच चुके हैं।
गिरफ्तार बदमाशों में शामिल हैं अमन, रवि, और रोशन जैसे 'उभरते अपराधी सितारे', और दो नाबालिग 'भविष्य के डॉन'। इनके पास से पुलिस ने कुल मिलाकर 7 लाख रुपये के मोबाइल और चोरी की बाइक बरामद की है।
*शहर की बदहाल सुरक्षा का काला चिट्ठा*
भँवरकुआं क्षेत्र, जिसे पहले पढ़ाई और सॉफ्टवेयर हब माना जाता था, अब चोरों का चारागाह बन चुका है। आईटी पार्क के इंजीनियर तक इनके निशाने पर हैं। सवाल उठता है कि आखिर पुलिस कब तक सिर्फ सीसीटीवी खंगालने और 'सराहनीय भूमिका' निभाने के नाम पर अपनी पीठ थपथपाती रहेगी?
*पुलिस की सफलता या सिस्टम की विफलता?*
पुलिस ने इस गैंग को पकड़ने का दावा करते हुए अपनी पीठ थपथपा ली है, लेकिन यह नहीं बताया कि यह गिरोह इतनी वारदातें अंजाम देने में कैसे कामयाब हुआ। क्या यह सिस्टम की नाकामी का सबूत नहीं कि चौराहों पर कैमरे लगने के बावजूद अपराधी इतने सक्रिय रहे?
*शहर के लोग सवालों के घेरे में*
शहर के नागरिक भी अब दहशत में हैं। "क्या हमारा इंदौर अब सुरक्षित नहीं?" यह सवाल हर किसी की जुबान पर है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, "हमने सोचा था कि शहर का विकास अपराध कम करेगा, लेकिन यहां तो अब शाम को बाहर निकलना भी खतरनाक लगता है।"
आखिर कब तक यह 'मोबाइल गैंग' और 'सोती हुई प्रशासनिक व्यवस्था' हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी को लूटते रहेंगे?